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Monday, November 30, 2009

राग मियाँ मलहार

आनंद लें राग मियाँ मलहार का







इस ऑडियो को अपलोड करने के बाद एक अजीब बात हुई ...हुआ यूं कि sahespuriya जी की टिप्पणी आई

" अरे चाचा क्या सुनवा दिया , ज़िन्दाबाद पूरा होता तो मज़ा आता ",

मन में ख़याल आया कि मैंने तो पूरा गाना ही अपलोड किया था

(ये फाइल सिर्फ़ एक प्रयोग थी प्लयेर को जांचने के लिए ,इस प्लयेर को पहली बार इस्तेमाल कर रहा था ,जो कि इरफ़ान जी ने सिखाया है )

मैंने अपलोड की गई फाइल को सुनना तय किया ,गाना पूरा बजा , पर अचानक अपनी आवाज़ को सुन कर मैं हैरान हो गया
(अपलोड करते समय मुझे लगा था कि फाइल दोनों आईं हैं पर चलेगी सिर्फ़ पंडित जी वाली, मुझे पूरा सुन लेना चाहिए था )

ख़ैर, सोचा चलो जो हुआ , उसे सुधारा जा सकता है . यानी अपनी आवाज़ वाली फाइल को निकालने का जतन.

दूसरे ही पल विचार आया कि ये काम मैंने जान कर नहीं किया,ख़ुद -ब-ख़ुद हो गया .और साथ में जो बात अलग सी लगी वो ये कि दोनों (पंडित भीम सेन जी और गंगू बाई हंगल ) एक ही घराने से सम्बंधित हैं ( किराना घराना )

गंगू बाई हंगल जी से उनके "अन्ना " को अलग करने का काम मुझसे न हो सका ,इसलिए यहाँ प्लयेर को जों का त्यों लगा रखा है ,



गंगुबाई से जुडी ये बातें मैंने किसी ब्लॉग में छपी पोस्ट से पढ़ी थीं ,और ऐसे ही इसे अपने शोक के लिए अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड कर लिया था , इसलिए कई ग़लतियाँ होंगीं रेकॉर्डिंग के दोरान , उसके लिए सभी गुणी जनों से क्षमा चाहता हूँ ,पर अभी याद नही है कहाँ से पढ़ा था ?(पता लगने पर ब्लॉग का नाम ज़रूर छापूंगा

गंगुबाई हंगल (1913 - 2009)

1 comment:

  1. अरे चाचा, क्या सुनवा दिया, ज़िंदाबाद पूरा होता तो और मज़ा आता

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