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Tuesday, April 28, 2009

ज्ञान जब किसी के विवेक को हर ले


मेरे एक जानने वाले हैं ,कोई शक़ नहीं कि उनमें नॉलेज बहुत होगी !कई बार लगता है कि वो नॉलेज उन पर हावी हो गयी है !
जब
कि ऐसा होना नही चाहिए था , क्योंकि
पेड़ पर जितने फल होते हैं, वो पेड़ उतना ही झुकता है,आख़िर ज्ञान की चरम सीमा क्या अभिमान है ? कभी कभी लगता है कि शायद है !क्योंकि कि रावण जिसे महाज्ञानी माना गया वो भीअपने अंहकार ,अभिमान के कारण ही मृत्यु को प्राप्त हुआ !यहाँ मैं उन महानुभाव !की निंदा नहीं कर रहा! ही उन से तुलना कर रहा हूँ !अगर हो सके तो बताईयेगा की मैं कहाँ ग़लत हूँ ? इंसान कहता है ज्ञान "अथाह " सागर है !और इस सागर की गहराई का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता!
ये
भी सुना करता हूँ
कि किसी भी चीज़ की अति
हानिकारक होती है !
क्या
ज्ञान भी उसी में शामिल है ? सवाल कई हैं जवाब का क्या ?
बस चाहता हूँ कि मैं इतना "ज्ञानी " ना
बनु और इश्वर उन्हें भी सही ज्ञान का बोध कराये!

अपने सुझाव ज़रूर दीजीयेगा

2 comments:

  1. kaheen sharmaa jee kaa zikra to nahee ho raha mere dost?

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  2. बिलकुल भी नहीं !

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