पिछले दिनों रेडियो पर एक विज्ञापन सुना (कॉन्डोम पर था )!जिसमें कपड़े धोनेवाली को ,मालकिन के देवर की जेब से कॉन्डोम मिलता है!
वो मालकिन को बुलाती है और साथ में देवर भी सहमा सहमा सा उसे रोकने की कोशिश करता है ,पर वो मालकिन को सब बता देती है,ख़ासबात ये कि मालकिन को बिल्कुल भी हेरानी नहीं होती!
और वो कहती है कि "कॉन्डोम ही तो है "!
मुझे इस विज्ञापन में ये तो नज़र आया कि अब कॉन्डोम शब्द को कहने से इतनी शर्म तो नही महसूस होती जितने कि एक ज़माने पहले की जाती थी जो की अच्छी बात है !पर कुछ पल के लिए सोचा कि आख़िर "कॉन्डोम " क्या सिर्फ़ एक शब्द है ?
या कुछ ख़ास छिपा है इसमें ?क्या हम आने वाले कल को ये बता रहे हैं कि एक से अधिक साथी से शारीरिक सम्बन्ध बनने में कोई बुराई नहीं है,बस ध्यान ये रखना होगा कि आप एक "छतरी साथ लेकर चलें ! आख़िर एक छाता आपको भीगने और बीमार होने से जो बचाता है !
वो मालकिन को बुलाती है और साथ में देवर भी सहमा सहमा सा उसे रोकने की कोशिश करता है ,पर वो मालकिन को सब बता देती है,ख़ासबात ये कि मालकिन को बिल्कुल भी हेरानी नहीं होती!
और वो कहती है कि "कॉन्डोम ही तो है "!
मुझे इस विज्ञापन में ये तो नज़र आया कि अब कॉन्डोम शब्द को कहने से इतनी शर्म तो नही महसूस होती जितने कि एक ज़माने पहले की जाती थी जो की अच्छी बात है !पर कुछ पल के लिए सोचा कि आख़िर "कॉन्डोम " क्या सिर्फ़ एक शब्द है ?
या कुछ ख़ास छिपा है इसमें ?क्या हम आने वाले कल को ये बता रहे हैं कि एक से अधिक साथी से शारीरिक सम्बन्ध बनने में कोई बुराई नहीं है,बस ध्यान ये रखना होगा कि आप एक "छतरी साथ लेकर चलें ! आख़िर एक छाता आपको भीगने और बीमार होने से जो बचाता है !
very good vichar.
ReplyDeletecondome bhee aaj kee ek jameenee sachchayee hee naheen ek life style ka hissa hai .ek samajik jimmedaree hai .
ReplyDeleteaapke sabhee lekh padhe .vividhta hai aapme .
zindgee ke safar ke liye shubhkamnayen !
bahut achha likha hai
ReplyDeleteWell.......I don't agree......
ReplyDeleteEven Until condoms were discovered, people used to have sex with multiple partners.....Best example is Brothels..
And afterall, using condom assures u n ur family members that u r not indulging in anything that may harm u in the form of STDs or AIDS....
thanks for ur comments
ReplyDeletecondom aaj ki jaroorat hai esse to inkaar nahi hai magar vikas ji ye bhi sach he hai ki log yadi charitra se theek hon to humein kritrim saadhanon ki aavashyakta he na pade...aapne logon ka dhyaan wahan kheenchaa jahan tak wo sochna pasand nahi karte hain.
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