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Saturday, May 2, 2009

किस हक़ से


लीजिये जनाब इतिहास ने अपने आप को फिर दोहरा दिया !"पप्पू " के कानों पर जूँ नहीं रेंगी ! चुनाव आयोग की मेहनत धरी की धरी रह गयी !"पप्पू " पप्पू बनना चाहता था सो बन गया !हाँ इतना कह सकता हूँ की जब दिल्ली में चुनाव होंगे तो मैं पप्पू नहीं बनूँगा !पर अख़बार पर अब "बूढे "भारत को देख -देख कर मन में एक सवाल है कि आख़िरकब तक ?कब तक पहले पन्ने पर लोकतंत्र का बोझ ढोता हुआ एक बूढा अपने बेटे का सहारा लेकर हमसभी को ये जताएगा कि अब तुम्हारी बारी है?ये देश तुम्हारा है ,कुछ कर्तव्य हैं तुम्हारे !माना कि मौसमकी मार ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी! दिन की तपिश ने हमारे पैरों को जकड दिया था !पर एक दिन क्या इतना मुश्किल था? क्या हम अपने काम के लिए धूप में लाइन में खड़े नहीं हुए?

अब किसी तरह की शिकायत करने का कोई अधिकार नही है तुम्हें ! होने दो जो होगा अब तुम्हारे शहर में ,तुम्हारे गाँव में ! मुझे हँसता हुआ दिख रहा है वो "जन प्रतिनिधि" जो चाहता ही था की लोग कम वोट करें और मैं आसानी से जीत जाऊँ ! और हुआ भी यही ! बात अगर मुंबई की करें तो वर्ष २004 में मत प्रतिशत रहा 49% जबकि इस बार वर्ष 2009 में ये गिरकर 44% से 45% तक जा पहुँचा

3 comments:

  1. thande pad chuke logon se kya ummeed karen ki voh desh k liye apna garm khoon denge.....
    joki zara si garmi k karan apnaa vote tak nahi de sake .........aapko badhai

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  2. हुज़ूर आपका भी .......एहतिराम करता चलूं .....
    इधर से गुज़रा था- सोचा- सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ



    कृपया एक व्यंग्य को पूरा करने में मेरी मदद करें। मेरा पता है:-
    www.samwaadghar.blogspot.com
    शुभकामनाओं सहित
    संजय ग्रोवर
    samvadoffbeat@yahoo.co.in

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  3. आपके ब्लॉग की सामग्री काफी अच्छी लगी, आप अच्छा लिखते हैं ,
    साथ ही आपका चिटठा भी खूबसूरत है ,

    यूँ ही लिखते रही हमें भी उर्जा मिलेगी ,

    धन्यवाद
    मयूर
    अपनी अपनी डगर

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