हर कोई इंसान अपनी ज़िन्दगी में कभी न कभी एक छत ज़रूर देखना चाहता है ! बेशक उसके पास अभी अपना सर छुपाने के लिए कोई छत न हो पर हर वक्त रहती है उसके सर पर उम्मीद की एक छत !जो उसे हमेशा धीरज बंधाती है,ग़रीब के घर में कुछ न हो पर उम्मीद ज़रूर होती है ।
कई बार बस में सफर करते हुए ऐसा नज़ारा देखता हूँ ,जहाँ कुछ ईंट पत्थर इकठा कर रहने के लिए सर छिपाने के लिए एक छोटा सा आशियाँ बना लिया जाता है
baat bilkul theek hai aapki...es gehraibhari soch ko aur painaa karen..
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