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Friday, August 28, 2009

काश ....



आज आसमान में पूनम का चाँद निकला है, और ये चाँद बेहद खूबसूरत नज़र रहा है ....
इस चाँद की चमक के आगे मेरी आँखों की चमक मानों फीकी पड़ चुकी हो,
जानना नहीं चाहोगे, कि मेरे आखों में ये चमक क्यों है... ?
मैं बताता हूँ.....
ये चमक उन पलों को याद कर के आई है,
जब तुम और मैं साथ हुआ करते थे!
वो पल कितने खूबसूरत हुआ करते थे, बिलकुल इस चाँद की तरह, आज भी वो पल हैं.... मेरे साथ मेरी यादें बनकर !
काश तुम अपने घर की खिड़की खोलतीं और देखतीं इस चाँद को, और इस चांदनी रात को........!
काश ,काश तुम्हें वो पल भी याद जाते,जिन पलों में तुम और मैं... साथ थे ,और साथ हुआ करती थी ऐसी ही एक चांदनी रात
काश कि मुझे आज काश कहना पड़ता ,
काश ये ग़म मुझ अकेले का होता ,काश इन यादों को मैं अकेले ढो रहा होता !
काश
कि मैं आज अकेला होता !
वो पल जो तुमने और मैंने साथ बिताए थे ,काश ये यादें बनकर मुझे सता रहीं होतीं

4 comments:

  1. पूनम का चाँद देख कर हमेशा किसी को किसी की याद क्यूँ आती है ...
    हाथ को हाथ दीजिये , साथ दीजिये ...वीडीओ अच्छा है पर साइज़ बड़ा होने के कारण पोस्ट को overlap कर रहा है ...इसे हटा दें तो अच्छा होगा ...

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  2. अच्छा इतनी बेकरारी से किसे याद किया जा रहा है जुत्शी बाबू..हमे भी बताइए...वैसे बहुत ही अच्छा लिखा है

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  3. vikas babu....apka ye lekh( radio script)pasnd aaya...ise apnee makhmalee aavaaz me record kr ke Daal do.....maza aa jayega bhai.....

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