"मेरे अधरों पर हो अंतिम वस्तु न तुलसीदल प्याला
मेरी जीव्हा पर हो अंतिम वस्तु न गंगाजल हाला,
मेरे शव के पीछे चलने वालों याद इसे रखना
राम नाम है सत्य न कहना, कहना सच्ची मधुशाला"।।
आज आइये इस अमर "मधुशाला" की ओर रुख़ किया जाए,और जी भर के इसका रस पान किया जाए ।
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कौन आया मेरे मन के द्वारे
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteyou know tumhare is post ki vajah se maine madhushala kharidi hai...i mean book :-)
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