भारत लोकतंत्र का ढोल पीटते नही थकता !पर लोकतंत्र क्या है ? इसका नमूना कोईलोकसभा चैनल को देख कर अंदाज़ा लगाये,जहाँ लोकसभा अध्यक्ष सांसदों को येकहते हैं कि "मैं उम्मीद करता हूँ कि देश की जनता आपके व्यवहार को देखे और फिरचुनावों में अपना मत्त व्यक्त करे! ऐसे नही' है कि मेरा लोकतंत्र पर विश्वास नही है! पूराविश्वास है ! यह हमारी खुशकिस्मती है कि हम लोकतांत्रिक देश में साँस ले रहे हैं ,पर हमें अधिकारचाहिये अपने तथाकथित जन प्रतिनिधियों को वापिस बुलाने का उन्हें ये बताने का कि संसद किमरियादाओं को इस तरह तार तार करते रहने से उन्हें भले ही कोई फर्क न पड़ता हो पर देश कि जनताका विश्वास ज़रूर टूटजाता है,लोकतंत्र के इस स्तम्भ से
(जी न्यूज़ से क्लिप )
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